शनिवार, 18 दिसंबर 2021

Rudraksha Mahima | रुद्राक्ष महिमा ओर उपयोगिता | रुद्राक्ष धारण करने से लाभ

                                                   Rudraksha Mahima

           रुद्राक्ष के महत्व और रुद्राक्ष के उपयोगीता 




https://youtu.be/rlscnAQo2GM

ॐ नमः शिवाय ,

हर हर शंभो

शंखनाद स्टुडिओ मे आपका स्वागत है

 तत्पुरुषाय विदमहे महादेवाय धीमहि तन्नो रूद्रप्रचोदयात


आज हम आपको रुद्राक्ष के महत्व और रुद्राक्ष के उपयोगी ता के बारे मे जानकारि देने वाले है |

तो    हम रुद्राक्ष के महत्व और रुद्राक्ष के उपयोगीता के बारे मे जानते है |

रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के अश्रुओं से हुई है |

कई वर्षों तक तपस्या में लीन रहे भगवान शिव ने जब अपनी आंख खोली तब उनकी आंखों में से आंसू धरती पर गिरे। 

जहां पर शिव की आंख का आंसू गिरा था वहां एक रुद्राक्ष का पेड़ बन गया।

 रुद्राक्ष एक खास तरह के पेड़ का बीज है। ये पेड़ आमतौर पर पहाड़ी इलाकों में एक खास ऊंचाई परहिमालय और पश्चिमी घाट सहित नेपाल, बर्मा, थाईलैंड या इंडोनेशिया और कुछ जगहों पर भी पाए जाते हैं। 

शिव के आंसू कहे जाने वाले रुद्राक्ष 14 प्रकार के होते हैं जिनमें से प्रत्येक व्यक्ति की अलग-अलग इच्छाओं को पूरा करने की चमत्कारिक शक्ति रुद्राक्ष रखता है। 

रुद्राक्ष को प्राचीन काल से आभूषण के रूप में, सुरक्षा के लिए, ग्रह शांति के लिए और आध्यात्मिक लाभ के लिए प्रयोग किया जाता रहा है |

 रुद्राक्ष का लाभ अदभुत होता है और प्रभाव अचूक , परन्तु यह तभी सम्भव है जब सोच समझकर नियमों का पालन करके रुद्राक्ष धारण किया जाय.

बिना नियमों को जाने गलत तरीके से रुद्राक्ष को धारण करने से लाभ बिलकुल नहीं होता ,

हमारे धार्मिक ग्रंथों में रुद्राक्ष के महत्व और रुद्राक्ष के उपयोगी ता के बारे मे जानकारि है. हर तरह के रुद्राक्ष को किसी किसी रूप में बेहद लाभकारी बताया गया ह|  हर रुद्राक्ष के एक कोने से लेकर दूसरे कोने तक कुछ धारियां खिंची होती हैं. इन्हें रुद्राक्ष के  मुख कहा जाता है |

 

रुद्राक्ष की खासियत यह है कि इसमें एक अनोखे तरह का स्पदंन होता है। 

जो आपके लिए ऊर्जा का एक सुरक्षा कवच बना देता है, जिससे बाहरी ऊर्जाएं आपको परेशान नहीं कर पातीं |कहते हैं भगवान शिव को प्रसन्न करना बेहद आसान है। वह इतने भोले हैं कि जो भी उन्हें मन से याद करता है वह उसकी हर इच्छा को पूरी करते हैं। यही वजह है कि भगवान शिव को उनके भक्त भोलेनाथ कहते हैं।

 शिव का अर्थ ही कल्याण है तो यह रुद्राक्ष कल्याण के लिए ही धरती पर आया है। इसके अनेक नाम हैं रुद्राक्ष, शिवाक्ष, भूतनाशक, पावन, नीलकंठाक्ष, हराक्ष, शिवप्रिय, तृणमेरु, अमर, पुष्पचामर, रुद्रक, रुद्राक्य, अक्कम, रूद्रचल्लू आदि।माना जाता है कि रुद्राक्ष इंसान को हर तरह की हानिकारक ऊर्जा से बचाता है। 


इसका इस्तेमाल सिर्फ तपस्वियों के लिए ही नहीं, बल्कि सांसारिक लोगों के लिए भी किया जाता है।
रुद्राक्ष  के वृक्ष और फल दोनों ही पूजनीय हैं। मानव के अनेकों रोग, शोक, बाधा नष्ट करने की शक्ति रुद्राक्ष में है। 

इसमें चुम्बकीय और विद्युत ऊर्जा से शरीर को रुद्राक्ष का अलग-अलग लाभ होता है। कहते हैं कि पूर्ण विधि-विधान और शिव के आशीर्वाद के साथ रुद्राक्ष को पहना जाए तो उसे पहनने मात्र से चिंताएं दूर हो जाती हैं।

 

रुद्राक्ष विभिन्न तरह के होते हैं और इसी के आधार पर इनक महत्व और उपयोगिता भी भिन्न-भिन्न होती है। 
लेकिन रुद्राक्ष धारण करने के कुछ नियम हैं जो समान हैं। आप किसी भी तरह का रुद्राक्ष क्यों ना धारण करने जा रहे हों, या किसी विशेष उद्देश्य के तहत रुद्राक्ष धारण करना हो सभी के लिए कुछ नियम हैं जिनका पालन करना अत्यंत आवश्यक है। इन नियमों का पालन किए बिना रुद्राक्ष का सही फल प्राप्त नहीं होता।


सबसे पहले तो आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि रुद्राक्ष धारण करने से पहले उसकी जांच अत्यंत आवश्यक है। अगर रुद्राक्ष असली है ही नहीं तो इसे धारण करने का कोई लाभ आपको प्राप्त नहीं होगा। 

खंडित, कांटों से रहित या कीड़ा लगा हुआ रुद्राक्ष कदापि धारण ना करें। 

अगर आपने रुद्राक्ष का प्रयोग जाप के लिए करना है तो छोटे रुद्राक्ष ही आपके लिए सही हैं, लेकिन अगर रुद्राक्ष धारण करना है तो बड़े रुद्राक्ष का ही चयन करें।

रुद्राक्ष के आकार की तरह उसके दानों की संख्या का भी अपना महत्व है। अगर आपको रुद्राक्ष का जाप तनाव मुक्ति के लिए करना है तो 100 दानों की माला का प्रयोग करना चाहिए। 

अगर आपकी मनोकामना अच्छी सेहत और स्वास्थ्य से जुड़ी है तो आपको 140 दानों की माला का प्रयोग करना चाहिए। 

धन प्राप्ति के लिए 62 दानों की माला का प्रयोग करें और संपूर्ण मनोकामना पूर्ति के लिए 108 दानों की माला का प्रयोग करें।

रुद्राक्ष से संबंधित एक महत्वपूर्ण नियम के अनुसार आप जिस भी माला से जाप करते हैं उस माला को कदापि धारण ना करें और जिस माला को धारण करते हैं उसे कभी भी जाप के प्रयोग में ना लाएं।

रुद्राक्ष को बिना शुभ मुहूर्त कभी धारण ना करें। सर्वप्रथम उसकी प्राण प्रतिष्ठा करवाएं और उसके बाद ही रुद्राक्ष धारण करें।

हिन्दू शास्त्रों के अनुसार ग्रहण काल में, कर्क और मकर संक्रांति के दिन, अमावस्या, पूर्णिमा और पूर्णा तिथि पर रुद्राक्ष धारण करने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है।

 

जिन लोगों ने रुद्राक्ष धारण किया है, उनके लिए मांस, मदिरा या किसी भी प्रकार के नशे को करना वर्जित है। इसके अलावा लहसुन और प्याज के सेवन से भी बचना चाहिए।

 

रुद्राक्ष धारण करने से पूर्व उसे भगवान शिव के चरणों से स्पर्श करवाएं। वैसे तो शास्त्रों में विशेष स्थिति में कमर पर भी रुद्राक्ष धारण करने की बात कही गई है लेकिन सामान्यतौर पर इसे नाभि के ऊपरी हिस्सों पर ही धारण करें। 

रुद्राक्ष को कभी भी अंगूठी में धारण नहीं करना चाहिए, ऐसा करने से इसकी पवित्रता नष्ट हो जाती है।

रुद्राक्ष धारण किए हुए कभी भी प्रसूति गृह, श्मशान या किसी की अंतिम यात्रा में शामिल ना हों। 

मासिक धर्म के दौरान स्त्रियों को रुद्राक्ष उतार देना चाहिए। इसके अलावा रात को सोने से पहले भी रुद्राक्ष उतार दें।

रुद्राक्ष धारण करने से पूर्व पूजाकर्म और जाप करना होता है, जब भी आपको रुद्राक्ष धारण करने का मन करे या ज्योतिष आपको सलाह दे तोपहनने से पहले रुद्राक्ष को कच्चे दूध, गंगा जल, से पवित्र करें और फिर केसर, धूप और सुगंधित पुष्पों से शिव पूजा करने के बाद ही इसे धारण करें।

 रुद्राक्ष एक दाना भी धारण कर सकते हैं पर यह दाना ह्रदय तक होना चाहिए तथा लाल धागे में होना चाहिए. आप इसे चांदी या सोने की चेन में भी धारण कर सकते हैं।

 -सावन में,सोमवार को और शिवरात्री के दिन रुद्राक्ष धारण करना सर्वोत्तम होता है |

 

Rudraksha Mahima | रुद्राक्ष महिमा ओर उपयोगिता | रुद्राक्ष धारण करने से लाभ

                                                   Rudraksha Mahima             रुद्राक्ष के महत्व और रुद्राक्ष के उपयोगीता  https://youtu...